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ममता से दूर माया : CBI पर आंदोलन क्या नहीं भाया?

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दीदी यानी ममता। समूचे देश की दीदी बनी दिख रही हैं। राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष की नेता बनी दिख रही है। संघीय ढांचे के चरमराने का सवाल उठाती दिख रही हैं दीदी। क्या बिहार, क्या उत्तर प्रदेश, चाहे तमिलनाडु हो या आन्ध्र प्रदेश, ममता बनर्जी सबकी दीदी बन चुकी हैं। मगर, एक सवाल है बहनजी कहां हैं? बहनजी यानी मायावती। बहनजी ने दीदी के लिए वक्त नहीं निकाला है।

‘बताया जा रहा है’ बताकर मीडिया ने जरूर बताया है कि बहनजी ने दीदी से समर्थन जताया है फोन पर। यह तो 3 फरवरी की घटना पर समर्थन है। वह घटना, जिसका सीबीआई से संबंध है। वह सीबीआई जिसका बहनजी से भी है नाता। रिश्तेदारी वाला नहीं। चोर-पुलिस वाला नाता। ताज कॉरिडोर, आय से अधिक सम्पत्ति और न जाने कितने मामलों में सीबीआई मायावती को हर उस समय तंग करती है जब प्रदेश या देश का राजनीतिक बुखार चढ़ा हुआ होता है। ऐसी सीबीआई की जब दीदी ने पकड़ी गर्दन, बैठ गयी धरने पर। तब भी बहनजी न कहीं दिखी, न मचाया शोर।

आखिर क्यों? बहनजी भी राजनीति की खिलाड़ी हैं। दीदी मुख्यमंत्री हैं, बहनजी तीन-तीन बार रह चुकी हैं मुख्यमंत्री। दोनों का आगे का सपना दिल्ली है। वह समझती हैं कि ‘दिल्ली’ के लिए लगता है ‘कोलकाता दरबार’। बार-बार। कभी 19 जनवरी, कभी 3 फरवरी।

बहनजी ने नहीं सजाया है दरबार। उन्होंने बढ़ाया है परिवार। एसपी से जोड़ा है बीएसपी का नाता। कहती हैं कि लखनऊ होकर ही है दिल्ली का रास्ता। सच भी है कि उल्टा है लखनऊ से कोलकाता।

कोलकाता दरबार पर है सबकी नज़र। मगर, इन नज़रों का नज़रिया है इतर। राहुल गांधी के लिए चुनाव बाद की सपोर्ट है दीदी, मायावती सोचती हैं कि उनकी इच्छाओं पर विस्फोट हैं दीदी। दीदी लड़कर सीबीआई को करती दिख रही हैं कंट्रोल। मायावती नहीं चाहतीं कि वह सोशल मीडिया पर हों ट्रोल। वक्त आने पर, पीएम बन जाने पर, पिंजरे में खुद होगी सीबीआई। ऐसे में चुनाव से पहले क्यों करना है ये छोटी-मोटी लड़ाई।

बहनजी इसीलिए चुप हैं। अखिलेश की आंखें भटकती देखकर वह चिन्तित हैं। तेजस्वी के राहुल को पीएम बताने से सशंकित हैं। राहुल के लिए स्टालिन का प्यार भी बहनजी को पसंद नहीं। ऐसे में अब दीदी से ममता दिखाने का जोखिम वह नहीं ले सकतीं। इस ममता से ममता दिखाने पर हर हाल में गिरेंगे आंसू। आंखें ममता की भर आएंगी चाहे खुद बहनजी पछताएंगी।

अब बात समझ में आयी? बहनजी ने फोन करके काम क्यों चलाया? वामदलों की तरह वह भी जानती हैं कि यह सब है पॉलिटिकल ड्रामा। इस ड्रामे में क्या पड़ना। ऐसे में कोलकाता के ड्रामे को समझना है तो इसे समझने के लिए आपको गुनगुनाना होगा

ये मेरा घर ये तेरा घर

किसी को मांगना हो गर

तो मांग ले

दीदी की नज़र

बहनजी की नज़र।

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