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मुलायम किसके टिकट पर लड़ेंगे चुनाव?

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मुलायम को ‘चाबी’ चाहिए या ‘साइकिल’

किस सीट से लड़ेंगे मुलायम?

क्या फिर करेंगे ‘साइकिल’ की सवारी?

या फिर पास रखेंगे ‘चाबी’?

मुलायम सिंह यादव चुनाव लड़ेंगे, यह साफ हो चुका है। इसका संकेत उन्होंने 6 फरवरी को संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन में शरीक होकर दिया। लम्बे समय बाद मुलायम किसी सार्वजनिक राजनीतिक कार्यकर्म में दिखे। इसके साथ ही यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि वह किसके टिकट पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं?

राजनीति में ऐसे खुशनसीब बहुत कम होते हैं जिन्हें लोकसभा का चुनाव लड़ने के एक से ज्यादा विकल्प मौजूद होते हैं। मगर, मुलायम सिंह यादव के लिए यह ‘खुशनसीबी’ अखिलेश यादव या शिवपाल यादव में से किसी एक के लिए बदनसीबी भी हो सकती है।

मुलायम सिंह से अखिलेश का नाता पिता-पुत्र का है जो कभी ख़त्म नहीं हो सकता। मुलायम का शिवपाल से नाता भाई-भाई का है, यह रिश्ता भी हमेशा ज़िन्दा रहेगा। मगर, राजनीतिक संबंध बने रहेंगे या नहीं। किसके साथ बने रहेंगे, किसके साथ टूटने वाले हैं इसका फैसला अब अधिक टल नहीं सकता। मुलायम अब तक भाई और बेटा दोनों को साथ लेकर चले हैं, मगर भाई और बेटे ने मुलायम को अकेले ही साथ रखना पसंद किया है। वे दोनों एक-दूसरे के साथ राजनीतिक रूप से जुड़े नहीं रह सकते, यह बात बहुत पहले स्पष्ट हो चुकी थी।

जब मुलायम ने बचायी थी समाजवादी पार्टी की ‘साइकिल’

जब शिवपाल ने अखिलेश की समाजवादी पार्टी पर दावा ठोंका था, तो मुलायम की सहमति भी ले ली गयी थी। मगर, एन वक्त पर मुलायम ऐसे पलटे कि समाजवादी पार्टी एकजुट रही। पार्टी का कोई नुकसान नहीं हुआ। यह मुलायम का अपनी समाजवादी पार्टी के प्रति लगाव था। इसी वजह से उन्होंने चुनाव आयोग में कह दिया कि कोई झगड़ा ही नहीं है। शिवपाल के लिए यह सदमे की तरह था। मगर, बाद में शिवपाल के लगातार साथ रहते हुए मुलायम ने रिश्ते में खटास को बढ़ने नहीं दिया।

मुलायम को ‘राह’ चुननी होगी

जब मुलायम चुनाव मैदान में खड़े होंगे, तो यह तय है कि समाजवादी पार्टी वहां से उम्मीदवार खड़े नहीं करेगी। अगर ये तय हो जाए कि कांग्रेस का भी समर्थन मुलायम को मिल जाएगा, तो कोई ताकत आजमगढ़ या मैनपुरी से मुलायम को हरा नहीं सकती, ऐसा राजनीतिक प्रेक्षकों का अनुमान है। मगर, मुलायम को एक राह चुननी होगी।

शिवपाल के साथ रहे तो एसपी-बीएसपी-कांग्रेस सब देंगे साथ

मुलायम अगर शिवपाल की पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं, तो कांग्रेस का समर्थन उन्हें मिल जाएगा। वजह ये है कि शिवपाल और कांग्रेस में गठबंधन के आसार हैं। तब एसपी-बीएसपी का समर्थन भी उन्हें मिल रहा होगा। वहीं, अगर मुलायम समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस उनके खिलाफ उम्मीदवार न दे, ऐसा मानकर नहीं चला जा सकता। हालांकि शिवपाल पर भी दबाव होगा कि वह मुलायम का समर्थन करें। मगर, अपने से अलग होने के बाद उनकी प्रतिक्रिया क्या रहेगी, यह अभी से तय नहीं माना जा सकता। अगर शिवपाल उखड़ गये यानी गुस्सा हो गये, तो कांग्रेस के समर्थन से हाथ धोना पड़ जा सकता है।

मुलायम के लिए मुफीद यही है कि वह शिवपाल की पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ें। कई लोग ऐसा मानते हैं कि एसपी-बीएसपी का एकजुट समर्थन ही मुलायम के लिए पर्याप्त होगा। कांग्रेस समर्थन दे या नहीं दे, इससे बहुत फर्क नहीं पड़ने वाला है। फिर भी, मुलायम को कौन सा समर्थन सूट करने वाला है, वे क्या फैसला लेने वाले हैं, इस पर सबकी नज़र है।

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