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पुलवामा में 44 शहीद : देश मांगे मुंहतोड़ जवाब

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“मैं देश को भरोसा देता हूं कि हमले के पीछे जो ताकते हैं, इस हमले के पीछे जो भी गुनहगार हैं उन्हें उनके किए की सज़ा अवश्य मिलेगी।”-नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

पुलवामा के अवन्तीपुरा हमले पर ये सख्त चेतावनी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया है तो इस चेतावनी की गम्भीरता और बढ़ गयी है। इसका मतलब ये हुआ कि भारत सबूतों के साथ बात करने वाला है। हमले का जवाब दिया जाएगा। हमले के योजनाकारों, मददगारों और साजिशकर्ताओं को करारा जवाब मिलेगा। अगर पाकिस्तानी संबंध के सबूत मिले, तो पाकिस्तान भी हमले से नहीं बचेगा, यह संकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दे दिया है।

बाइट-नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

“मैं आतंकी संगठनों को और उनके सरपरस्तों को कहना चाहता हूं कि वे बहुत बड़ी गलती कर चुके हैं। बहुत बड़ी कीमत उनको चुकानी पड़ेगी।”

विपक्ष भी सरकार के साथ एकजुट है। राहुल गांधी, मनमोहन सिंह और गुलाम नबी आज़ाद ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर साफ कहा है कि इस मामले में कोई राजनीति नहीं होगी। बलिदान देने वालों के साथ खड़ी है कांग्रेस। सरकार के साथ है कांग्रेस। एक दिन पहले जब पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले की बात सामने आयी जिसमें अब तक 42 जवान मारे जा चुके हैं, तो प्रियंका गांधी ने भी अपने तयशुदा प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कोई राजनीतिक बात नहीं की।

मायावती, अखिलेश समेत दूसरे नेताओं ने भी दलगत मतभेदों को भूलकर आतंक की इस घटना का जवाब देने की उम्मीद सरकार से जताई है। मायावती ने साफ कहा है कि बात निन्दा, भर्त्सना तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। जवाब दिया जाना चाहिए।

देशभर में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। हर कोई इस घटना का जवाब देने की मांग कर रहा है। उरी पर हमले के बाद जब सर्जिकल स्ट्राइक हुए थे, तब देश में जो अलग-अलग सुर थे उससे बिल्कुल अलग परिस्थितियां इस बार देखने को मिल रही हैं।

कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी यानी सीसीएस की बैठक में पाकिस्तान को दिया गया मोस्ट वांटेड नेशन का दर्जा वापस लेने का फैसला हुआ। इस बात से यह साफ हो जाता है कि भारत पुलवामा हमले के लिए पाकिस्तान को ज़िम्मेदार ठहरा रहा है। जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली है। वही जैश-ए-मोहम्मद जिसके प्रमुख अजहर मसूद को भारत की जेल से छुड़ाने के लिए 1999 में कंधार अपहरण कांड को अंजाम दिया गया था। अजहर मसूद पाकिस्तान की शरण में है और वहीं से आतंकी गतिविधियों को संचालित कर रहा है।

भारत को रूस, अमेरिका, इज़राइल, फ्रांस जैसे देशों से समर्थन मिल रहा है और यह नैतिक बल भी कि भारत को बदला लेने का पूरा हक है। ऐसे में यह सही मौका है जब अजहर मसूद के मसले पर भारत एक बार फिर चीन से बात करे और उसे दुनिया के मोस्ट वांटेड आतंकी घोषित करने की यूएन की पहल में साथ देने का आग्रह करे। चीन ने दो-दो बार वीटो लगाकर अजहर मसूद का बचाव किया है।

सीमा पर, कूटनीतिक स्तर पर और वैश्विक स्तर पर आतंकवाद का इस्तेमाल भारत के ख़िलाफ़ करने के लिए पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिश भी तेज़ की जानी चाहिए और पुलवामा की घटना का जवाब भी दिया जाना चाहिए। यह वक्त की ज़रूरत भी है और आम जनता की मांग भी। सवाल ये है कि लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले इस स्थिति से निबटने के लिए क्या मोदी सरकार तैयार है? देश को जवाब हां में चाहिए।

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