राम मंदिर कब तक?
तारीख 7 जून
लम्बाई 7 फीट
मर्यादा पुरुषोत्तम राम की काष्ठ प्रतिमा अयोध्या में स्थापित और सुशोभित हो चुकी है। योगी आदित्यनाथ के कर कमल से हुई है ये पहल। एक और पहल योगी आदित्यनाथ ने कर रखी है कि अयोध्या में 221 मीटर ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी। उस पर काम जारी है।
अब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को भी अयोध्या पहुंचने का न्योता दिया जा चुका है। पूर्व बीजेपी सांसद और संत राम विलास वेदांती ने यह न्योता दिया है।
बीजेपी नेता सुब्रहमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर मांग उठायी है कि अधिग्रहीत भूमि सरकार को वापस लेनी चाहिए और इसमें कोई कानूनी बाधा नहीं है।
जाहिर है देश का ध्यान उस राम मंदिर निर्माण पर है जिसका वादा भारतीय जनता पार्टी 1990 के बाद से हर चुनाव में करती आयी है। सुब्रह्मण्यम स्वामी उसी की याद दिला रहे हैं।
अयोध्या में राम मंदिर का मतलब काष्ठ या अष्टधातु की मूर्ति का अनावरण तो कतई नहीं है और इसकी बराबरी गर्भगृह पर मंदिर बनाने के संकल्प से नहीं की जा सकती।
महंत नृत्य गोपालदास की जयंती का उत्सव जारी है। 15 जून तक यह चलेगा। इस दौरान साधु-संतों के सत्संग में राम मंदिर निर्माण पर विमर्श भी जारी है। कई किस्म के प्रश्न उठाए जा रहे हैं-
राम मंदिर को लेकर उठ रहे हैं सवाल
राम मंदिर अभी नहीं तो कब?
केंद्र से लेकर यूपी में है मजबूत सरकार
राज्यसभा में मजबूत हो रही है स्थिति
गैर विवादित ज़मीन अधिग्रहीत क्यों न हो
राम मंदिर बनाने की पहल में रुकावट क्यों?
देश के धर्माचार्यों ने नवंबर महीने में धर्मादेश भी जारी किया था और फिर एक अन्य धर्म संसद ने इसी साल राम मंदिर मुद्दे पर अयोध्या मार्च करने की भी घोषणा की थी। मगर, ये घोषणाएं खुद महत्वहीन हो गयीं क्योंकि घोषणा करने वालों ने अपनी घोषणा पर अमल के लिए कोई जिद नहीं दिखलायी।
ऐसे में महंत नृत्य गोपाल दास की जयंती के उत्सव पर साधु-संतों को कितनी अहमियत दी जाए, यह बड़ा सवाल है। चूकि इस उत्सव में खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शिरकत कर रहे हैं जो न सिर्फ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं बल्कि राम मंदिर के लिए समर्पित योगी भी हैं। इसलिए साधु-संतों की बैठक और भी अहम हो जाती है।
ऐसे में सवाल ये उठता है कि साधु-संत या फिर दूसरे लोग और खुद योगी सरकार ही क्यों इस मुद्दे को प्रकारांतर से उठाते रहने में दिलचस्पी ले रहे हैं? क्या राम मंदिर मुद्दे को सुलगाए रखना उनका मकसद है? या फिर वे दबाव का माहौल बनाए रखना चाहते हैं? वजह जो हो, मगर राम मंदिर के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की पहल का नतीजा देखना सबका कर्त्तव्य होना चाहिए। ऐसा कोई भी काम न हो, जिससे माहौल बिगड़े। यह याद दिलाना भी जरूरी है कि 15 अगस्त तक का समय मध्यस्थता समिति के पास है जो हर बीतते दिन के साथ करीब आता जा रहा है।