सफर पर चंद्रयान : दूर नहीं मुकाम
चंद्रयान 2 सफर पर है। पृथ्वी के चक्कर लगा रहा है। उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। दो बार उपग्रह की कक्षा बदल चुका है। 29 जुलाई को तीसरी बार वह एक और कक्षा में प्रवेश करेगा। फिर उसके आगे 6 अगस्त या उससे पहले एक बार और ऐसा होगा। चंद्रयान को अपनी कक्षा बदलने में धरती से ही मदद की जाती है।
अभी चंद्रयान ने चांद का चक्कर लगाना शुरू नहीं किया है। वह पृथ्वी की ही परिक्रमा कर रहा है।
चंद्रयान 2 के आगे का सफर
- 14 अगस्त को चांद की कक्षा की ओर रवाना होगा चंद्रयान 2
- 20 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा
- 11 दिन यानी 31 अगस्त तक चांद के चक्कर लगाएगा
- 31 अगस्त को विक्रम लैंडर रोवर ऑर्बिटर से अलग होगा, चांद की ओर बढ़ेगा
14 अगस्त को चंद्रयान चांद की कक्षा की ओर रवाना होगा। तय योजना के मुताबिक 20 अगस्त को वह चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर चुका होगा। फिर 11 दिनों तक यानी 31 अगस्त तक वह चांद के चारों ओर चक्कर लगाएगा। 31 अगस्त का दिन महत्वपूर्ण है जब चंद्रयान विक्रम लैंडर रोवर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और उसके बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव की ओर बढ़ेगा।
चांद की सतह पर उतरने की पहली कोशिश है चंद्रयान। चार टन के इस अंतरिक्ष यान में एक लूनर ऑर्बिटर है। इसमें एक लैंडर और एक रोवर है। भारत से पहले रूस, अमेरिका और चीन यह कोशिश कर चुका है।
7 सितम्बर का हो रहा है इंतज़ार
- दक्षिण ध्रुव पर उतरेगा चंद्रयान
- विक्रम लैंडर उतरेगा चांद पर
- कुछ घंटे बाद रोवर प्रज्ञान आएगा बाहर
- तब शुरू होगा चांद पर खोज का मिशन
लैंडर वो है जिसके जरिए चंद्रयान पहुंचेगा और रोवर उस वाहन को कहते हैं जो चांद पर पहुंचने के बाद वहां की चीजों का अध्ययन करेगा। चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत पहला ऐसा देश होगा। भारत से पहले रूस, अमेरिका और चीन चांद पर जा चुके हैं लेकिन दक्षिणी ध्रुव पर अब तक कोई देश नहीं पहुंचा है।
अमेरिका 2024 तक दक्षिण ध्रुव पर अपना मानव मिशन भेजने वाला है। उसे भी चंद्रयान 2 से मिलने वाली जानकारियों का इंतज़ार है। चंद्रयान दो जिन बातों का पता करने वाला है उन पर गौर करें
पता लगाएगा चंद्रयान 2
- चांद पर पानी है कि नहीं
- अगर है तो किस रूप में है पानी
- किन-किन जगहों पर है पानी
- चांद के मौसम का भी पता चलेगा
- कब-कहां रहता है अंधेरा
- कब-कहां रहती है रोशनी
भारत के लिए खुशी की बात ये है कि चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर के जीवनकाल को एक साल और बढाया जा सकता है। पहले अनुमान था कि चंद्रयान 2 का ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा। अब यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह 2 साल तक काम कर सकता है।
चंद्रयान 2 की लागत 14.1 करोड़ डॉलर है जो अमेरिका के अपोलो प्रोग्राम की लागत 25 अरब डॉलर के मुकाबले बेहद कम है। भारत ने स्पेस विज्ञान पर बनी फ़िल्म ग्रैविटी से भी कम लागत में मार्स सैटेलाइट लॉन्च कर दुनिया को चौंका दिया था।
चंद्रयान 1 ने पुष्टि की थी कि चांद पर पानी है। तब चांद की सतह पर उतर नहीं पाया था चंद्रयान। चंद्रयान 2 चांद की सतह पर उतरेगा। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की योजना के पीछे मकसद ज्यादातर छाया में रहने वाले इस हिस्से के बारे में पता लगाना है। भारत की अगली योजना 2022 में चांद पर अंतरिक्ष यात्री को भेजने की है।