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SC का दखल : गिरफ्तार नहीं, नज़रबंद

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सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में दो जगहों पर अलग-अलग सुनवाई चल रही थी। मामला गम्भीर था। 5 मानवाधिकार कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए थे। सुप्रीम कोर्ट में विरोध की याचिकाओं पर विचार हो रहा था, तो दिल्ली हाईकोर्ट में उन पांच में से एक गौतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई जारी थी।

दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई तब रुकी जब अदालत को बताया गया कि सभी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर रोक लग गयी है और उन्हें नज़रबंद करने का आदेश दिया गया है। मगर, इससे पहले तक दिल्ली हाईकोर्ट गौतम नवलखा की गिरफ्तारी को लेकर पुणे पुलिस को घेर चुकी थी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने पुणे पुलिस से पूछा-
  • गौतम नवलखा की गिरफ्तारी का आदेश मराठी भाषा में क्यों?
  • गिरफ्तारी के पीछे की वजह कैसे समझी जा सकती है?
  • दस्तावेजों का अनुवाद क्यों नहीं हुआ?
  • भाषा समझे बिना मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कैसे दिए रिमांड के आदेश?
  • मजिस्ट्रेट को केस डायरी तक क्यों नहीं दिखाई गयी? सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तार सभी 5 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को हाऊस अरेस्ट यानी नज़रबंद करने का आदेश सुनाया।

इसके साथ ही इस गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने गम्भीर टिप्पणी की-

“विरोध की आवाज़ लोकतंत्र के लिए सेफ़्टी वॉल्व है और अगर आप सेफ्टी वाल्व को अनुमति नहीं देंगे, तो प्रेशर कुकर फट जाएगा।”
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया। आयोग ने कहा कि उसे लगता है कि इस मामले में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। ये मानवाधिकार उल्लंघन का मामला हो सकता है। आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव और डीजी को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है।

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