SCAM भूले मोदी, लेकर आए सराब
2014 में भी नरेंद्र मोदी ने चुनाव अभियान का आग़ाज़ मेरठ से किया था, 2017 में भी मेरठ से ही उन्होंने ताल ठोंकी थी और अब 2019 में भी मेरठ को ही उन्होंने चुना। न भीड़ पहले जैसी थी, न जोश पहले जैसा दिखा। नारेबाजी तब भी हुई, अब भी हुई, मगर पहले वाली बात नज़र नहीं आयी। नरेंद्र मोदी की ज़ुबान में भी वो धार नहीं दिखा, हालांकि तेवर वही रखने की उन्होंने भरपूर कोशिश दिखलायी।
2019 में चौकीदार नरेंद्र मोदी ने एसपी-बीएसपी-राष्ट्रीय लोकदल पर हमला बोलने के लिए अजीबोगरीब जुमला दिया। वे बोले,
“सपा का स, रालोद का रा और बसपा ब मतलब ‘सराब’, ये ‘शराब’ आपको बर्बाद कर देगी।”
हंगामा बरपना ही था। फौरन समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने ‘सराब’ और ‘शराब’ में फर्क बता डाला और नरेद्र मोदी को ही नफ़रत के नशे में करार दिया। देखें उन्होंने ट्वीट में क्या कहा,
“आज टेली-प्रॉम्प्टर ने यह पोल खोल दी कि ‘सराब’ और ‘शराब’ का अंतर वे लोग नहीं जानते, जो नफ़रत के नशे को बढ़ावा देते हैं
‘सराब’ को मृगतृष्णा भी कहते हैं और यह वह धुंधला सा सपना है जो भाजपा 5 साल से दिखा रही है लेकिन जो कभी हासिल नहीं होता। अब जब नया चुनाव आ गया तो वह नया सराब दिखा रहे हैं।”
राष्ट्रीय जनता दल ने ट्वीट कर नरेंद्र मोदी के ‘सराब’ को ‘शराब’ के रूप में सही करते हुए लिखा,
“शाह का श, राजनाथ का र और बुड़बक बीजेपी का ब। बन गया शराबबंदी में धड़ल्ले से बिकता गुजराती शराब”
5 फरवरी 2017 को यूपी में विधानसभा चुनाव के वक्त भी नरेंद्र मोदी ने मेरठ से चुनाव प्रचार का आगाज किया था। तब उन्होंने पूरे विपक्ष को निशाने पर लेने के लिए SCAM शब्द का इस्तेमाल किया था। उन्होंने बताया था,
“S से समाजवादी, C से कांग्रेस, A से अखिलेश और M से मायावती”
जवाब में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि
“SCAM, का दरअसल मतलब है Save the Country from Amit shah & Modi यानी देश को अमित शाह और मोदी से बचाओ।”
SCAM की जगह ‘सराब’ कहकर चौकीदार नरेंद्र मोदी ने अखिलेश-मायावती पर हमला जारी रखा, वे बोले,
“दो लड़कों से बुआ-बबुआ तक पहुंचने में जो तेजी दिखाई गई है, वो गजब है। इन लोगों के लिए सत्ता से बढ़कर कोई नहीं है। ये वही लोग हैं जिन्होंने नारा बना रखा था- यूपी को लूटो बारी-बारी।“
नरेंद्र मोदी ने यह कहते हुए कि बोर्ड बदल लेने से दुकान नहीं बदलती, आगे भी कहना जारी रखा,
“मैं अपना हिसाब दूंगा ही और साथ-साथ दूसरों का हिसाब भी लूंगा. ये दोनों काम साथ-साथ चलेंगे. तभी तो होगा हिसाब बराबर. हिसाब होगा, सबका होगा, बारी बारी से होगा।”
उत्तर प्रदेश आते ही नरेंद्र मोदी जमुलों को तबीयत से उछालने लग जाते हैं। ये उत्तर प्रदेश ही है जहां विधानसभा चुनाव के दौरान ही उन्होंने कहा था,
“उत्तर प्रदेश को गुजरात बनाने के लिए 56 इंच का सीना चाहिए।”
यूपी चुनाव के दौरान ही अखिलेश यादव ने जब गुजराती गधे की तुलना नरेंद्र मोदी से कर दी थी, तो जवाब देते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा था,
“मैं गर्व से गधे से प्रेरणा लेता हूं और देश के लिए गधे की तरह काम करता हूं। सवा सौ करोड़ देशवासी मेरे मालिक हैं। गधा वफादार होता है उसे जो काम दिया जाता है वह पूरा करता है।”
जब 2014 में वाराणसी से चुनाव लड़ने नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश आए थे, तो उन्होंने बहुत फख्र से कहा था,
“मैं बनारस का बेटा हूं और मुझे गंगा मां ने बुलाया है।”
वे आगे भी कहते रहे हैं
“यूपी ने मुझे गोद लिया है और यूपी मेरा माईबाप है। मैं माईबाप को नहीं छोड़ूगा।“
मगर, अपने लिए नरेंद्र मोदी चाहे जो कहें, दूसरों के लिए वे कोई अपमानजनक शब्द कहें, तो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री को यह शोभा नहीं देता। तीन-तीन लोकतांत्रिक पार्टियों के गठबंधन को नरेंद्र मोदी सराब उच्चारण कर शराब बता रहे हैं। पहले स्कैम बता चुके थे। लोकतंत्र में बोलने की आज़ादी का मतलब बेलगाम ज़ुबान नहीं हो सकती।