शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा ‘बॉस’ को चोर : कब करेगी BJP बाहर?
“सच कहना बगावत है तो समझो हम भी बागी हैं”-शत्रुघ्न सिन्हा।
शत्रुघ्न सिन्हा बगावत पर उतर आए हैं। बीजेपी सरकार को उखाड़ फेंकने के मकसद से तैयार मंच पर उनकी मौजूदगी ही बगावत है। कोलकाता में ममता की रैली पर शत्रुघ्न सिन्हा ने मानो खुली लड़ाई ही ठान ली। नरेंद्र मोदी के लिए राहुल गांधी का वह नारा भी दे डाला जो इन दिनों बीजेपी को सबसे बेचैन कर रहा है। जी हां, चौकीदार चोर है…
बोले शत्रुघ्न- चौकीदार चोर है
“मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आप दोषी हैं और न ही यह कह रहा हूं कि आप निर्दोष हैं. लेकिन जब सवालों के जवाब नहीं दिए जा रहे हैं, तो लोग कहेंगे कि चौकीदार चोर है.”
कहते हैं कि यहीं पर शत्रुघ्न सिन्हा ने लक्ष्मण रेखा लांघ दी। अगर बीजेपी में रहना है तो नरेंद्र मोदी और अमित शाह के विरुद्ध आप कुछ नहीं कह सकते।
बहुत चतुर हैं शत्रुघ्न सिन्हा- BJP
“मैंने पिछले पांच सालों में कभी उनको पार्टी के किसी भी कार्यकलाप में नहीं देखा. वह बहुत चतुर हैं और अपनी राजनीतिक समझ के अनुसार फैसले लेते हैं. वह खुद को भाजपा के बताते हैं और विपक्ष की रैली में शामिल होते हैं. इसलिए, मुझे पक्का विश्वास है कि पार्टी इस पर कार्रवाई करेगी.”- राजीव प्रताप रूडी
चतुर कौन है? शत्रुघ्न सिन्हा जो 5 साल से सांसद होने का फायदा उठाते रहे, ह्विप का पालन करते रहे या बीजेपी जो 5 साल तक इस ‘चतुराई’ पर चुप रही। कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। शत्रुघ्न सिन्हा ने जीएसटी के विरुद्ध बोला, नोटबंदी के खिलाफ़ में बयान दिया, किसानों के लिए आवाज़ उठायी और हमेशा जनता के गुस्से से अपनी पार्टी और सरकार को शत्रुघ्न सिन्हा आगाह करते रहे। आम तौर पर इसे बीजेपी के भीतर विरोधी आवाज़ को भी बर्दाश्त करने वाला लोकतंत्र माना जाता रहा। मगर, अब उसे ही बीजेपी शत्रुघ्न सिन्हा की चतुराई बता रही है।
राजीव प्रताप रूडी की यह बात स्वीकार करना मुश्किल है कि शत्रुघ्न सिन्हा सुविधाओं के लिए चतुराई दिखलाते रहे। क्योंकि, शत्रुघ्न सिन्हा इतने कंगाल और तंगहाल नहीं हैं कि उन्हें सांसद की सुविधा के लिए मशक्कत करनी पड़े। शत्रुघ्न सिन्हा का दर्द बारम्बार सामने आता रहा है कि वे बीजेपी से तब से जुड़े रहे जब पार्टी के पास महज दो सीट थी। तब से वे स्टार प्रचारक रहे। मगर, अब बीजेपी ने ही उन्हें किनारा कर दिया।
बीजेपी समर्थक सोशल मीडिया में शत्रुघ्न सिन्हा को मंत्री पद का लोभी बताते रहे। जवाब में शत्रुघ्न सिन्हा ने भी एक टीवी एक्ट्रेस को एचआरडी मंत्री बनाने को अपनी दावेदारी के तर्क से जोड़ा। मगर, इन सब बातों से परे एक बात साफ है कि आडवाणी और उनके जमाने के वही मंत्री बीजेपी और मोदी सरकार की मुख्य धारा से जुड़े रह सके जिन्होंने समर्पण किया। यशवन्त सिन्हा, अरुण शोरी, शत्रुघ्न सिन्हा इनके बागी होने तक चुप रहने की नीति पर चलती रही बीजेपी। मानो यह इंतज़ार किया जाता रहा कि ये बागी हों और इन्हें पार्टी से निकाला जाए।