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यूपी उपचुनाव : 12 सीटों पर विपक्ष के बजे 12

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एक बंटे दो, दो बंटे चार…छोटी-छोटी बातों में बंट गया परिवार। उत्तर प्रदेश के संदर्भ में बात करें तो सिर्फ समाजवादी परिवार ही नहीं बंटा है बल्कि एसपी-बीएसपी का महागठजोड़ भी बिखर चुका है। लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी के हौंसले बुलन्द हैं तो विरोधियों के पस्त। होने वाला है उपचुनाव..और 12 विधानसभा सीटों पर विपक्ष के बजने वाले हैं 12.

UP में 12 सीटों पर उपचुनाव

10 सीटें हैं NDA के पास

एक-एक सीट SP-BSP के पास

जिन 12 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं उनमें से 10 सीटें एनडीए के पास थीं जबकि एक-एक सीट एसपी और बीएसपी के पास।

UP में 12 सीटों पर उपचुनाव

जिन सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं उनमें शामिल हैं गोविंदनगर, लखनऊ कैंट, टुंडला, जैदपुर, मानिकपुर, बलहा, गंगोह, इगलास, प्रतापगढ़, रामपुर, जलालपुर, हमीरपुर

महागठबंधन टूट चुका है। एसपी और बीएसपी दोनों ने एलान कर दिया है कि वे अलग-अलग उपचुनाव लड़ेंगे। खास बात ये है कि जो बीएसपी कभी उपचुनाव नहीं लड़ा करती थी वह भी अपने दम पर ताल ठोंक रही है। कांग्रेस ने भी अकेले उपचुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। आरएलडी ने भी अकेले चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। इन सबके बीच बीजेपी अपने पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतर चुकी है।

UP उपचुनाव : BJP ने कसी कमर

सांसद परिवार से किसी को टिकट नहीं

निष्ठावान कार्यकर्ताओं को प्रमुखता

सांसद अपने-अपने क्षेत्र में जीत दिलाएंगे

रामपुर में केशव प्रसाद मौर्य की ड्यूटी

अपनी सीट बचाने, विपक्ष की छीनने की रणनीति

60 फीसदी वोट हासिल करने का लक्ष्य

बीजेपी ने तय किया है कि वह अपने सांसदों के परिवार से किसी को भी टिकट नहीं देगी। इसके बजाए निष्ठावान कार्यकर्ताओँ को वह आगे बढ़ाएगी। बीजेपी ने पार्टी सांसदों को अपने-अपने इलाके में जीत दिलाने की ठेकेदारी सौंप दी है। रामपुर जैसी प्रतिष्ठा की सीट समाजवादी पार्टी से छीनने की रणनीति बनी है। इसके लिए वहां डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को जिम्मेदारी दे दी गयी है। बीजेपी न सिर्फ अपनी सीटों को बचाने के लिए, बल्कि विरोधी दलों की सीटें भी जीतने की रणनीति बनाकर चल रही है। पार्टी ने इस बार 60 फीसदी मत हासिल करने का लक्ष्य रखा है। बीजेपी के हौंसले इस बात से बुलन्द हैं कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उत्तर प्रदेश में करीब 50 फीसदी वोट हासिल हुए थे।

कांग्रेस ने भी शुरू की तैयारी

कांग्रेस ने भी संगठनात्मक तैयारी शुरू कर दी है। पूर्वी यूपी के छह विधानसभा सीटों के लिए दो-दो समन्वयक तैनात किए हैं। पूर्वी यूपी में ज़िला व शहर समितियों के पुनर्गठन की जिम्मेदारी अजय कुमार लल्लू को सौंप दी गयी है। पार्टी पूरे यूपी में संगठनात्मक स्तर पर पुनर्गठन के काम में जुटी है।

BSP अकेले लड़ेगी चुनाव

बहुजन समाज पार्टी ने भी संगठन के स्तर पर काम शुरू कर दिया है। बैठकों का दौर जारी है। उम्मीदवारों की लिस्ट पर विचार किया रहा है।

पार्टी में जान फूंक रहे हैं समाजवादी

वहीं, समाजवादी पार्टी भी पार्टी के कार्यकर्ताओँ में जान फूंकने में जुटी है। लोकसभा चुनाव में हार के कारण पार्टी के मनोबल पर बड़ा फर्क पड़ा है।

लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव में बड़ा फर्क इस रूप में देखने को मिलेगा कि जहां एसपी-बीएसपी तब ये कह रही थीं कि उनके वोट बैंक आपस में मिलकर बीजेपी से अधिक हो जाते हैं और इसलिए समीकरण के सामने बीजेपी की हार निश्चित है, वहीं अब बीजेपी कहती दिख रही है कि एक तरफ 50 फीसदी वोट पाने वाली बीजेपी है और दूसरी तरफ मिलकर लड़ने के बावजूद चुनाव हार जाने वाली एसपी और बीएसपी है जो इस बार अलग-अलग लड़ रही है। एसपी और कांग्रेस की जोड़ी को बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में पहले ही परास्त कर दिया था। ऐसे में बीजेपी का दावा है कि उसके सामने कोई दल टिकने वाला नहीं है। इस दावे की विपक्ष के dपास फिलहाल कोई काट नहीं है।

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