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6 दिसम्बर के बदलते मायने : Negative to Positive

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6 दिसम्ब। भारत के लिए महत्वपूर्ण दिन। कई मायनों में ऐतिहासिक भी, कई मायनों में काला दिवस भी। अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विध्वंस एक घटना है। अम्बेडकर और परमवीर चक्र होशियार सिंह की पुण्य़ तिथि, टेस्ट मैच में पहली बार भारत का नम्बर वन होना, होमगार्ड दिवस और भारत के पहले गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स का जन्मदिन होना भी अहम बातें हैं। पहले इन्हें जानते हैं फिर हम जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर कौन सी गलतियां हुईं कि 6 दिसम्बर अयोध्या विवाद से जुड़कर अनसुलझा विवाद बन गया है।

1992 : बाबरी विध्वंस

6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचा ढाह दिया गया था जिसके बाद देशभर में दंगे हुए। बीजेपी शासित चार राज्य सरकारें बर्खास्त कर दी गयीं। अटल बिहारी वाजपेयी ने इसे काला दिवस बताया था, तो बाल ठाकरे ने कहा था कि अगर उनके बच्चों ने यह काम किया है तो उन्हें उन पर गर्व है। बाबरी ढांचा गिराने के आरोप में बीजेपी, विश्व हिन्दू परिषद के नेताओं पर अब भी उत्तर प्रदेश की अदालतों में मुकदमे जारी है, जबकि राम जन्म भूमि से जुड़ा मूल विवाद सुप्रीम कोर्ट में हल होने का इंतज़ार कर रहा है। विश्व हिन्दू परिषद इस तारीख को शौर्य दिवस के रूप में मनाता आया है।

1956 : अम्बेडकर की पुण्यतिथि

6 दिसम्बर 1956 को बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर ने महापरिनिर्वाण को प्राप्त किया था। वे दुनिया छोड़कर चले गये थे। संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी के प्रमुख बाबा साहेब की पुण्यतिथि को देश अखण्डता दिवस के रूप में मनाता आया है। जैसे-जैसे समय बीतता गया है यह तारीख भी अहम होती चली गयी है। आज कोई राजनीतिक दल नहीं है जो इस तिथि पर डॉ भीम राव अम्बेडकर के शीष नहीं नवाता।

2009 : भारत टेस्ट में नम्बर वन (Flip करेगा) 2018 : बोर्डर-गावस्कर सीरीज़

6 दिसम्बर 2009, भारतीय क्रिकेट के लिए भी ऐतिहासिक दिन है। 2009 को इसी दिन महेन्द्र सिंह धोनी के नेतृत्व में भारत पहली बार टेस्ट क्रिकेट में नम्बर वन बना था। भारत की यह बादशाहत लगातार 2011 तक जारी रही थी। उसके बाद से यह सिलसिला टूटता-जुड़ता रहा है।

6 दिसम्बर 2018 को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर-गावस्कर टेस्ट सीरीज़ का आग़ाज़ हो रहा है जिसमें रिकॉर्ड मशीन विराट कोहली कई और रिकॉर्ड बनाने को बेताब हैं। यह तारीख भी क्रिकेट और क्रिकेट प्रेमियों के लिए अहम है।

देश के लिए 6 दिसम्बर के मायने

होमगार्ड दिवस

1998 : परमवीर होशियार सिंह नहीं रहे

6 दिसम्बर 1998 को परमवीर चक्र होशियार सिंह का निधन हो गया। वही होशियार सिंह, जो युद्धभूमि पर अजेय वीरता के पर्याय बन चुके थे। 1965 में पराक्रम दिखाने के बाद 1971 में दिसम्बर के ही महीने में शकरगढ़ पठार की रणनीतिक भूमि पर जान की बाजी लगाकर जिन्होंने गोलियां खाईं। इसके बावजूद लगातार संघर्ष किया। होशियार सिंह के नेतृत्व में 3 ग्रैनेडियर्स ने दुश्मन के कमांडिंग ऑफिसर समेत 89 जवानों को मार गिराया। 20 दुश्मन के जवान बंदी बना लिए गये। भारत की ओर से भी इस भीषण लड़ाई में 39 जवान शहीद हुए। इनमें परमवीर चक्र विजेता अरुण खेत्रपाल भी शामिल हैं।

होमगार्ड दिवस

6 दिसम्बर होमगार्ड दिवस भी है। जी हां, होमगार्ड सुनते ही हमारे मन में ऐसे वर्दी धारी लोगों की कल्पना हो आती है जिनके लिए कर्त्तव्य अधिक महत्वपूर्ण होता है और पैसा कम। कम पैसों में ये अधिकतम सेवा देते हैं।

1732 : वारेन हेस्टिंग्स का जन्म दिन

6 दिसम्बर का दिन वारेन हेस्टिंग्स का जन्म दिन भी है। 1732 में वे ईस्ट इंडिया कम्पनी की ओर से भारत के पहले गवर्नर जनरल बने थे। इसके बाद से ही औपचारिक रूप से भारत पर अंग्रेजी प्रभुत्व का युग शुरू हुआ।

राम जन्मभूमि विवाद में 6 दिसम्बर ने एक ऐसा अध्याय जोड़ा, जिसे भूलने में ही 6 दिसम्बर की सार्थकता है। हिन्दुओं की आस्था का प्रतीक भगवान राम की जन्मभूमि का विवाद 6 दिसम्बर 1992 के पहले तक महज दीवानी मसला था। इसका मतलब ये हुआ कि यह महज ज़मीन पर स्वामित्व का सवाल था, मगर बाबरी विध्वंस के बाद यह फौजदारी मुकदमे से भी जुड़ गया।

बाबरी विध्वंस से हिन्दुओं का पक्ष कमजोर हुआ

न्यायपूर्ण तरीके से राम जन्मभूमि पाने की जो धैर्य पूर्वक लड़ाई चल रही थी, उसे इस तारीख ने बदल डाला। शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द मानते हैं कि इस घटना के बाद हिन्दुओं का पक्ष कमजोर हुआ। ऐसा लगा मानो हिन्दू ज़बरदस्ती करना चाहते हैं। मगर, वास्तव में हिन्दू तो अपना हक लेना चाह रहे हैं।

मस्जिद से पहले मंदिर के सबूत

रामजन्मभूमि पर मंदिर तोड़कर मस्जिद बनायी गयी थी, यह बात इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग की खुदाई ने भी पुष्ट कर दी है। खुदाई में मंदिर से मिलते-जुलते अवशेष मिले हैं।

अब राम मंदिर विवाद में दो बातें हैं- एक हिन्दुओं को राम जन्मभूमि मिले और दूसरा उन लोगों को सज़ा, जिन्होंने कानून तोड़ते हुए बाबरी ढांचे को गिराया।

अयोध्या विवाद में 7 बड़ी गलतियां

गलती नम्बर 1

अगर तर्कसम्मत ढंग से सोचें तो अयोध्या विवाद में  पहली और सबसे बड़ी गलती तभी हुई जब बीजेपी ने मंदिर निर्माण का संकल्प लिया। यह भारतीय संविधान की आत्मा के विरुद्ध बात थी। जब भारतीय लोकतंत्र में धर्म, जाति या ऐसे भेदभावकारी आधारों पर वोट तक नहीं मांग सकते, तो एक राजनीतिक दल मंदिर निर्माण को अपना लक्ष्य कैसे बना सकता है।

गलती नम्बर 2

बीजेपी ने अपने घोषणापत्रों में राम मंदिर का वादा किया। चुनाव आयोग ने अगर इस पर रोक लगा दी होती या बीजेपी को ऐसा करने से रोका होता, तो इस गलत को भी रोका जा सकता था। आश्चर्य है कि राम मंदिर को घोषणापत्र का हिस्सा बनाना धार्मिक भावना भड़काना क्यों नहीं माना गया।

गलती नम्बर 3

1984 में विश्व हिन्दू परिषद की ओर से राम मंदिर निर्माण समिति बनाया जाना और 1986 में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति का गठन दोनों घटनाएं टकराव की शुरुआत थी।

गलती नम्बर 4

1989 में राम मंदिर परिसर का ताला खोलना राजीव गांधी सरकार की हिन्दू तुष्टिकरण की ऐसी नीति थी, जिसका खामियाजा देश भुगत रहा है।

गलती नम्बर 5

1990 में विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओ ने बाबरी मस्जिद को नुकसान पहुंचाया था। तब उनके ख़िलाफ़ तत्कालीन चंद्रशेखर सरकार ने सख्त एक्शन नहीं लिया। इसके बदले वार्ता के जरिए विवाद सुलझाने का असफल प्रयास किया।

गलती नम्बर 6

2002 में अयोध्या से लौटते विश्व हिन्दू परिषद कार्यकर्ताओं को गोधरा में ट्रेन की बोगी में ज़िन्दा जला देने की घटना। इस घटना के बाद की प्रतिक्रियाएं मरने वालों को ही दोषी ठहराने की थी। 58 कारसेवकों की लाशें देखकर गुजरात धधक उठा।

गलती नम्बर 7

15 मार्च 2002 में वाजपेयी सरकार ने विश्व हिन्दू परिषद के नेताओं से मंदिर निर्माण के लिए शिलाएं लीं। सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश के बाद यह सरकार का हिन्दूवादी ताकतों के सामने समर्पण करने जैसा कदम था।

एक के बाद एक गलतियों ने अयोध्या विवाद को और भी उलझाया। अब अध्यादेश के जरिए मंदिर निर्माण की बात हो रही है। मगर, अध्यादेश की मांग तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने 2003 में ही ठुकरा दी थी।

2019 के लिए मुद्दे के तौर पर इसे गरमाया जा रहा है। मुख्यमंत्री जैसे तटस्थ पदों का इस्तेमाल एकतरफा होना भी इस मसले को उलझाएगा। अच्छा यही होता कि अयोध्या विवाद से जुड़े जो दो मामले अदालतों में हैं- एक ज़मीन विवाद और दूसरा बाबरी विध्वंस का विवाद, दोनों के लिए अदालत के निर्णय की प्रतीक्षा कर ली जाए।

अयोध्या विवाद में रामलला भी याचक बन गये!

वैसे अयोध्या विवाद में रामलला को एक पक्ष बनाकर जो भारी भूल की गयी है उसका जिक्र किए बगैर यह मसला अधूरा रहेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सितम्बर 2010 में जो फैसला सुनाया उसमें 2.77 एकड़ ज़मीन को तीन हिस्सों में बांट दिया गया। एक तिहाई हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को मिला, एक हिस्सा राम जन्मभूमि न्यास को और एक हिस्सा राम लला के नाम माना गया। दो पक्ष तो सुप्रीम कोर्ट गये। तीसरा पक्ष यानी राम लला अदालत नहीं जा सकते थे, सो नहीं जा सके। राम जन्मभूमि विवाद ने राम लला को भी याचक बना दिया है।

6 दिसम्बर को हम किस रूप में याद करें। यह सबसे बड़ा सवाल है। वारेन हेस्टिंग्स से जोड़कर इसे भारत में गोरों के काले अध्याय की तारीख मानें या कि बाबरी विध्वंस का काला अध्याय के तौर पर याद रखें जिसके बाद भारत में सीरीज़ ब्लास्ट और आतंकवाद का एक और काला अध्याय शुरू हुआ। अच्छा ये होगा कि इसे सबक के रूप में याद रखा जाए। इस तारीख को टेस्ट क्रिकेट में नम्बर वन होने के तौर पर याद रखा जाए। अम्बेडकर की विरासत को जीवित रखने और देश की अखण्डता को बचाए रखने के तौर पर याद रखा जाए। इसी तरह होशियार सिंह के परम शौर्य से प्रेरणा लेने वाले दिवस के रूप में हम इसे याद रखें।

 

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