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छठा चरण : बिहार में एनडीए 6, महागठबंधन 2

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बिहार में छठे चरण में 8 सीटों पर मतदान हुआ। महागठबंधन और एनडीए के बीच कांटे का मुकाबला दिखा। मगर, सीवान और महाराजगंज को छोड़कर महागठबंधन कहीं और भारी नज़र नहीं आ रहा है। हम आपको हर सीट के हिसाब से बताने जा रहे हैं कि किस तरह एनडीए को 8 में से 6 सीटें मिलती दिख रही हैं।
सीवान लोकसभा सीट
बिहार में सीवान की सीट पर आरजेडी और जेडीयू के बीच सीधा मुकाबला दिखा। दो-दो बाहुबलियों की पत्नियां आमने-सामने रहीं। जेडीयू की कविता सिंह और आरजेडी की हिना शहाब के बीच मुकाबला था। बीजेपी ने अपनी यह सीटिंग सीट जेडीयू के लिए छोड़ दी थी। मगर, मतदान का प्रतिशत बताता है कि यह सीट एनडीए खोने जा रहा है।
सीवान लोकसभा सीट : वोटों का प्रतिशत गिरा
सीट 2014 2019 अंतर
सीवान 56.53 56.33 -0.20
2014 में सीवान की सीट पर 56.53 प्रतिशत वोट पड़े थे जबकि 2019 में वोटों में 0.20 प्रतिशत वोटों की गिरावट आयी है।
डबल इंजन थ्योरी के हिसाब से महागठबंधन इस सीट पर कब्जा करने जा रहा है।
महाराजगंज लोकसभा सीट
बिहार के महाराजगंज में बीजेपी के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल का मुकाबला महागठबंधन प्रत्याशी आरजेडी के रणधीर सिंह से है। रणधीर सिंह बाहुबली नेता प्रभुनाथ सिंह के बेटे हैं जो इन दिनों विधायक अशोक सिंह हत्याकांड में जेल में हैं। प्रभुनाथ सिंह महाराजगंज से चार बार सांसद रह चुके थे। 2014 में मोदी लहर में जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने इस सीट पर कब्जा जमाया था।
महाराजगंज लोकसभा सीट : वोटों का प्रतिशत बढ़ा
सीट 2014 2019 अंतर
महाराजगंज 51.57 52.12 0.55
महाराजगंज में 2014 में 51.57 फीसदी मतदान हुआ था, जबकि 2019 में 52.12 फीसदी मतदान हुआ है। इस तरह 0.55 फीसदी वोट अधिक पड़े हैं। बस सच का आकलन कहता है कि इस सीट को बीजेपी नहीं बचा पाएगी। यहां महागठबंधन उम्मीदवार की जीत होने जा रही है।
पूर्वी चम्पारण लोकसभा सीट
पूर्वी चंपारण में वर्तमान सांसद हैं BJP के राधामोहन सिंह और उन पर बीजेपी ने एक बार फिर दांव लगाया। राधा मोहन सिंह का मुकाबला महागठबंधन की ओर से RLSP उम्मीदवार आकाश सिंह से हुआ। राधा मोहन सिंह मजबूत उम्मीदवार हैं। जेडीयू के समर्थन के बाद उनकी स्थिति और मजबूत हुई। वोट प्रतिशत में 1.46 फीसदी की बढ़ोतरी भी उनकी मजबूत स्थिति को बयान कर रही है।
पूर्वी चम्पारण लोकसभा सीट : वोट प्रतिशत बढ़ा
सीट 2014 2019 अंतर
पूर्वी चंपारण 57.16 58.62 1.46
पूर्वी चम्पारण में 2014 में जहां 57.16 फीसदी वोट पड़े थे 2019 में कुल वोट 58.62 फीसदी पड़े। इस तरह 1.46 फीसदी वोटों की बढ़ोतरी हुई। बस सच का आकलन कहता है कि पूर्वी चम्पारण से राधा मोहन सिंह जीत रहे हैं।
पश्चिम चम्पारण लोकसभा सीट
पश्चिम चंपारण में BJP के सांसद डॉ. संजय जायसवाल का मुकाबला RLSP के ब्रजेश कुमार कुशवाहा से है। पश्चिम चम्पारण बीजेपी का मजबूत गढ़ है। विगत चुनाव में यहां बीजेपी ने जेडीयू उम्मीदवार फ़िल्म निर्माता निर्देशक प्रकाश झा को हराया था। आरजेडी तीसरे नम्बर पर थी। महागठबंधन ने यह सीट ब्रजेश कुमार कुशवाहा को दे दी।
पश्चिम चम्पारण लोकसभा सीट : वोट प्रतिशत बढ़ा
सीट 2014 2019 अंतर
पश्चिम चंपारण 60.49 63.57 3.08
पश्चिम चम्पारण में वोटों प्रतिशत में 3 फीसदी से ज्यादा का इजाफा बता रहा है कि इस सीट पर बीजेपी की एक बार फिर आसान जीत होने जा रही है। 2014 में पश्चिम चम्पारण में 60.49 फीसदी वोट पड़े थे, 2019 में वोटों का प्रतिशत है 6.57। इस तरह 3.08 फीसदी वोटों की बढ़ोतरी हो रही है। बस सच का आकलन है कि डॉ संजय जायसवाल एनडीए को यह सीट दोबारा दिलाने जा रहे हैं।
वाल्मीकीनगर लोकसभा सीट
वाल्मीकिनगर में बीजेपी ने अपने वर्तमान सांसद सतीश चंद्र दुबे की दावेदारी को भुलाकर यह सीट जेडीयू को दे दी थी जिन्हें 2014 के आम चुनाव में महज 81, 612 वोट मिले थे। कांग्रेस यहां दूसरे नम्बर पर थी और उसे 2, 46 हज़ार वोट मिले थे। 2019 में जेडीयू के लिए बीजेपी की कुर्बानी और कांग्रेस को आरजेडी की खुली मदद के बीच एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला रहा।
वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट : वोट प्रतिशत बढ़ा
सीट 2014 2019 अंतर
वाल्मीकिनगर 61.80 63.92 2.12
2014 में वाल्मीकिनगर 61.8 फीसदी वोट मिले थे जो 2019 में बढ़कर 63.92 फीसदी हो गये। इस तरह 2.12 फीसदी वोटों की बढ़ोतरी हुई।
बस सच का आकलन है कि वाल्मीकिनगर की सीट एक बार फिर एनडीए के खेमे में जाती दिख रही है।
शिवहर लोकसभा सीट
शिवहर में BJP की सांसद रमा देवी का मुकाबला आरजेडी के सैयद फैजल अली से है। इस सीट पर 2014 में बीजेपी और जेडीयू को मिले वोट मिला दें तो आरजेडी पर बढ़त 2 लाख से ज्यादा की हो जाती है। मगर, महागठबंधन उम्मीदवार होने की वजह से मुकाबला कांटे का था। मगर, तेज प्रताप की बगावत ने इस सीट पर महागठबंधन के लिए जीत की सम्भावनाएं ख़त्म कर दी। हालांकि मतदान के दिन वे तेजस्वी यादव के साथ नज़र ज़रूर आए। मगर, अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत।
शिवहर लोकसभा सीट : वोट प्रतिशत बढ़ा
सीट 2014 2019 अंतर
शिवहर 56.73 60.06 3.33
शिवहर में 2014 में 56.73 फीसदी मतदान हुआ था, जो 2019 में बढ़कर 60 फीसदी से अधिक हो गया। कुल 3.33 फीसदी वोट प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। बस सच के मुताबिक यह बढ़ोतरी बताती है कि एनडीए उम्मीदवार की जीत हो रही है और महागठबंधन की हार।
वैशाली लोकसभा सीट
वैशाली में लोकजनशक्ति पार्टी के रामा सिंह ने 2014 में आरजेडी के दिग्गज नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को पटखनी दी थी। एक बार फिर रघुवंश प्रसाद सिंह महागठबंधन उम्मीदवार बनकर चुनाव मैदान में हैं। उन्हें चुनौती दे रही हैं लोकजनशक्ति पार्टी की वीणा देवी।
2014 के चुनाव में एलजेपी के रामा सिंह को 3 लाख 5 हज़ार 450 वोट मिले थे तो आरजेडी के रघुवंश प्रसाद सिंह को 2 लाख 6 हज़ार 183 वोट मिले थे। वहीं जेडीयू के विजय कुमार सहनी को 1 लाख 44 हज़ार 807 वोट मिले थे। इस तरह एलजेपी और जेडीयू के वोटों को जोड़ दें तो यह आरजेडी को मिले वोटों से लगभग दुगुना हो जाता है।
वैशाली लोकसभा सीट : वोट प्रतिशत बढ़ा
सीट 2014 2019 अंतर
वैशाली 59.12 61.56 2.44
वैशाली में वोटों का प्रतिशत भी एनडीए उम्मीदवार की जीत की गवाही दे रहा है। 2014 में यहां 59.12 फीसदी वोट पड़े थे, जो 2019 में बढ़कर 61.56 फीसदी हो गया। इस तरह 2.44 फीसदी वोटों का उछाल डबल इंजन थ्योरी के हिसाब से साफ तौर पर सत्ताधारी दल को जीत दिलाता दिख रहा है।
गोपालगंज लोकसभा सीट
गोपालगंज की सीटिंग सीट बीजेपी ने इस बार जेडीयू के लिए छोड़ दी। यहां जेडीयू के अजय कुमार सुमन का मुकाबला आरजेडी के सुरेंद्र राम से है। इस सीट पर बीजेपी और जेडीयू को 2014 में मिले वोटों को जोड़ दें तो यह पौने छह लाख के करीब होता है, वहीं कांग्रेस को तब करीब दो लाख वोट ही मिले थे। इस बार आरजेडी ने जोर लगाया, मगर ऐसा लगता है कि गोपालगंज की सीट जेडीयू जीतने जा रहा है।
गोपालगंज लोकसभा सीट : वोट प्रतिशत में जबरदस्त बढ़ोतरी
सीट 2014 2019 अंतर
गोपालगंज 54.60 58.96 4.36
गोपालगंज में 2014 में 54.60 फीसदी मतदान हुआ था, जो इस बार बढ़र 58.96 फीसदी हो गया। इस तरह 4.36 फीसदी वोटों का ज़बरदस्त उछाला आया। जाहिर है डबल इंजन की सरकार में यह उछाल साफ तौर पर एनडीए उम्मीदवार की जीत की तस्दीक कर रही है।
बिहार में महागठबंधन और एनडीए के बीच कड़े मुकाबले में महागठबंधन के पिछड़ने की सबसे बड़ी वजह एकजुटता की कमी दिख रही है। इसके बावजूद समग्रता में महागठबंधन एनडीए को बड़ी बढ़त लेने से रोके हुए है।

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