सेना का पहला बदला : ‘मास्टरमाइंड’ गाज़ी, कामरान ढेर
मसूद को सूद समेत जवाब
14 फरवरी का बदला
सीआरपीएफ के 40 जवानों की शहादत का बदला
आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने का जज्बा
मौत से लड़कर शहादत को जारी रखने का जज्बा
पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड अब्दुल रशीद गाजी को सेना ने मार गिराया है…न सिर्फ गाजी बल्कि जैश-ए-मोहम्मद के एक और कुख्यात आतंकवादी कामरान को भी सेना ने मौत की नींद सुला दिया है। ऐसा करते हुए शहादत देने का जज्बा भी सेना ने जारी रखा है। मेजर समेत 4 जवान रविवार देर रात के बाद सुबह तक जारी मुठभेड़ में शहादत को प्राप्त हुए हैं।
अब्दुल रशीद गाजी को मार गिराना सेना की बड़ी उपल्ब्धि है। पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड यही शख्स था। अफगानिस्तान में अपने को बतौर आईडी स्पेशलिस्ट साबित कर चुके गाजी को जैश-ए-मोहम्मद के आका मसूद अजहर ने दिसम्बर में भेजा था।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने कुछ समय पहले यह रिपोर्ट दी थी कि 9 फरवरी के आसपास बड़े हमले की तैयारी की जा रही है। 9 फरवरी अफजल गुरु की बरसी होती है। वही अफजल गुरु जिसे संसद पर हमला करने के आरोप में फांसी दी गयी थी। संसद पर हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ही ली थी।
मीडिया रिपोर्ट में यह संदेश ट्रैप होने की बात भी कही गयी थी, “बड़ा होना चाहिए, हिन्दुस्तान रोना चाहिए”
टाइम्स ऑफ इंडिया ने 3 जनवरी की रिपोर्ट में कहा था कि खुफिया एजेंसियों को ऐसे इनपुट मिले हैं कि जैश कमांडर ताल्हा और उस्मान की हत्या का बदला लेने के लिए अब्दुल रशीद गाजी घाटी में आ चुका है। ताल्हा रशीद और उस्मान दोनों ही अजहर मसूद के भतीजे थे। तल्हा को नवंबर 2017 में पुलवामा और उस्मान को अक्टूबर 2018 में त्राल में सुरक्षा बलों ने मार गिराया था। उस्मान के मारे जाने के बाद जैश ए मोहम्मद ने बयान जारी कर बदला लेने की बात कही थी। इसी बदले के लिए खास तौर पर मसूद अजहर ने अब्दुल रशीद गाज़ी को भारत भेजा था।
अब आप समझ रहे होंगे कि अब्दुल रशीद गाजी के मारे जाने का मतलब क्या है। अजहर मसूद के भतीजों की हत्या का बदला लेने आए मास्टर माइंड को भारतीय सेना ने मौत की नींद सुला दिया है। गाजी कितना ख़तरनाक था इसका पता इस बात से चलता है कि 9 दिसम्बर को घाटी में आने के बाद ज्यादातर पैदल चलते हुए ही वह पुलवामा पहुंचा। यहां उसकी मदद कामरान और उसके साथियों ने की। आदिल अहमद डार भी उसके मददगारों में एक था जिसने विस्फोटकों के साथ गाड़ी को सीआरपीएफ के काफिले से टकराकर गाजी के मंसूबे को अंजाम दिया।
सीआरपीएफ पर हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि हमले के मास्टरमाइंड और उसके मददगारों को बख्शा नहीं जाएगा।
पाकिस्तान में महफ़ूज हैं ‘मास्टरमाइंड’
मास्टरमाइंड अब्दुल रशीद गाजी और उसके सहयोगी कामरान का मारा जाना उस भरोसे पर अमल है। इसे कर दिखाने में चार दिन भी नहीं लगे। मगर, वो मास्टरमाइंड जिसने अब्दुल रशीद गाजी को हिन्दुस्तान की सरज़मीं पर बदला लेने के लिए भेजा, बदला लेने के लिए सुविधाएं और मदद उपलब्ध करायी…उस असल मास्टरमाइंड यानी कि अजहर मसूद…और उस जैसे दूसरे आतंकी सरगना… उनका सफाया कैसे होगा? असली मास्टरमाइंड तो वही हैं। और, ये सब फिलहाल पाकिस्तान में महफ़ूज़ हैं। हम उम्मीद करें कि हमारे हाथ असली मास्टरमाइंड तक भी जल्द पहुंच जाएंगे।