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कांग्रेस के Mentor रहेंगे राहुल

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राहुल गांधी का कौन होगा विकल्प?

क्या कांग्रेस में कोई राहुल का विकल्प हो सकता है?

ये दो प्रश्न हैं। एक प्रश्न कांग्रेस में नये अध्यक्ष की सम्भावनाएं तलाशता है तो दूसरा इस सम्भावना को ख़ारिज़ करता है। करीब 40 दिन लग गये राहुल गांधी को, जब उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बने रहने की सम्भावना को खत्म कर दिया।

कांग्रेस का नया अध्यक्ष कौन हो?

इस सवाल से अधिक महत्वपूर्ण है कि कैसे हो। राहुल गांधी ने यह साफ करके कि वे कोई नाम नहीं सुझाएंगे अच्छा संकेत दिया है। मगर, अब तक कांग्रेस के नेता राहुल को मनाने का दस्तूर छोड़ने को तैयार नहीं हो पाए हैं। यह कांग्रेस के लिए चिन्ता की बात है।

कौन है हार का जिम्मेदार?

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार

राहुल गांधी ने ली जिम्मेदारी

बाकी नेता सामने नहीं आए

राहुल गुस्सा हुए तो दिए इस्तीफे

इस्तीफ़ों में राहुल की इच्छा का सम्मान

राहुल ने फैसले की वजह कांग्रेस के नेता

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार हुई। डेढ़ साल पुराने अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसकी जिम्मेदारी ली। मगर, दूसरे नेता तब तक जिम्मेदारी लेने को सामने नहीं आए जब तक कि राहुल गांधी ने अपना आक्रोश प्रकट नहीं कर दिया। मतलब ये कि देर से कांग्रेस में जो इस्तीफ़ों का दौर शुरू हुआ, वह दरअसल नेताओं की मर्जी से नहीं हुआ, राहुल गांधी की इच्छा का सम्मान रखने के लिए हुआ। अगर राहुल ने इस्तीफ़ा वापस नहीं लिया, तो इसके लिए कांग्रेसी नेताओं का यही रवैया अधिक जिम्मेदार है। मगर, राहुल का फैसला कांग्रेस के हित में है।

राहुल ने साफ किया है कि वह वैचारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी से कितना अलग हैं और कांग्रेस से किस कदर उनका रोम-रोम जुड़ा हुआ है। निश्चित रूप से कांग्रेस अध्यक्ष नहीं रहकर भी राहुल कांग्रेस की प्रेरणा बने रहेंगे। कांग्रेस को देशभर में एकजुट करने और पार्टी का जनाधार वापस हासिल करने के लिए राहुल का विजन और उनकी मेहनत ही काम आने वाली है। इस मेहनत के बिना कांग्रेस के नये अध्यक्ष की अहमियत भी स्थापित नहीं होगी।

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कांग्रेस में अध्यक्ष पद के दावेदार

सुशील कुमार शिन्दे

मल्लिकार्जुन खड़गे

एके एंटनी

मोतीलाल वोरा

अशोक गहलौत

सचिन पायलट

मिलिन्द देवड़ा

यह प्रश्न उठता है कि कौन लोग कांग्रेस में अध्यक्ष पद के दावेदार हैं। कम से कम उन नेताओं को इस जिम्मेदारी से दूर रहना चाहिए जिन्होंने इस्तीफे की पेशकश की है। जिन नामों की अधिक चर्चा रही है उनमें महाराष्ट्र के सुशील कुमार शिन्दे का नाम प्रमुख है। अन्य नामों में मल्लिकार्जुन खड़गे, एके एंटनी, मोतीलाल वोरा के नाम भी शामिल हैं। नाम तो वैसे अशोक गहलौत का भी लिया जा रहा है। मगर, राजस्थान से ही पार्टी अध्यक्ष अगर तय करना हो तो यह जिम्मेदारी सचिन पायलट को मिले तो वह कांग्रेस के हित में बेहतर होगा। सचिन पायलट ने राजस्थान में मेहनत करके पार्टी को विधानसभा चुनाव में जीत दिलायी थी। विरोधी भी उनकी इस बड़ी भूमिका से इनकार नहीं कर सकते। कांग्रेस मिलिन्द देवड़ा के नाम पर भी विचार कर सकती है जो सुशील कुमार शिन्दे की तुलना में युवा विकल्प हैं।

इस बहाने राहुल गांधी पार्टी में उन सभी युवा नेतृत्व को जमीन पर उतार सकते हैं जिन्होंने अब तक इससे परहेज किया है। इन नामों में ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रियंका गांधी, जितिन प्रसाद, मिलिन्द देवड़ा, सचिन पायलट, हार्दिक पटेल जैसे नेता शामिल हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव हो जाने के बाद एक पूरे राजनीतिक कार्यक्रम की घोषणा राहुल गांधी को करना चाहिए। वे देशव्यापी पदयात्रा कर सकते हैं। राष्ट्रीय एकता अभियान चला सकते हैं। नफ़रत की सियासत ख़त्म करने का अभियान भी उनकी योजना का हिस्सा हो सकता है। उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक देश को जोड़ने का अभियान भी चलाया जा सकता है। राहुल ऐसा करके न सिर्फ कांग्रेस को जनता से जोड़ेंगे, बल्कि देश के लिए भी रचनात्मक काम कर दिखाएंगे।

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