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जानिए 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनोमी का सच

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अगर हम ये कहें कि देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्तमंत्री को बजट पेश करने नहीं मिला, तो आप चौंक जाएंगे। मगर, सच यही है। निर्मला सीतारमण ने बही-खाता पेश किया है। चमड़े की बैग में नहीं, क्योंकि यह अशुभ होता है। हम अपनी ओर से ऐसा नहीं कह रहे। ऐसा सरकार की ओर से कहा गया है। बही-खाता नाम भी खुद सरकार ने दिया है। इसलिए नहीं कि बजट अंग्रेजी का शब्द है और स्वदेशी सरकार को हिन्दी प्रिय है, बल्कि इसलिए कि अगर बजट कहा जाता तो सरकार को ये बताना पड़ता कि कहां से आमदनी होगी और कहां खर्च होंगे। सरकार को यह नहीं बताना था, इसलिए उसने बजट के बजाय इसे ‘बही-खाता’ में कहा।
मगर, क्या जो निर्मला सीतारमन ने पेश किया, उसे बही खाता कहा जाए? बिल्कुल नहीं। बही-खाता में अतीत में हुए खर्चों का लेखा-जोखा होता है। इस हिसाब से बजट या बही खाता के नाम पर जो कुछ भी निर्मला सीतारमन ने पेश किया, उसे सरकार का स्टेटमेंट यानी बयान कहा जा सकता है। सकारात्मक सोचें तो इसे विज़न डॉक्यूमेंट कहा जा सकता है।

वित्तमंत्री ने संसद में बताया

  • 55 साल में 1 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनोमी
  • 5 साल में मोदी सरकार ने 1 ट्रिलियन डॉलर जोड़ा
  • कुछ वर्षो में 5 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी इकॉनोमी
  • एक दिन में ही बदल गयी 2025 की डेड लाइन

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने सदन को बताया कि इस देश की जीडीपी पहली बार 55 साल में 1 ट्रिलियन डॉलर यानी 1 लाख करोड़ डॉलर हुई थी। उनका दावा है कि उनकी सरकार ने पांच साल में भारतीय अर्थव्यवस्था में 1 ट्रिलियन डॉलर जोड़ दिया। उन्होंने दावा किया कि अगले कुछ वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर वाली हो जाएगी। एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण में यही समय-सीमा 2025 बतायी गयी थी। यानी एक दिन में सरकार ने समय-सीमा वापस ले ली।

कितना सच है वित्तमंत्री का बयान?

  • 2009 में GDP 1.36 ट्रिलियन डॉलर
  • 2017 में GDP 2.65 ट्रिलियन डॉलर
  • 2019 में GDP 2.70 ट्रिलियन डॉलर
  • दो साल में बढ़ोतरी 0.05 ट्रिलियन डॉलर
  • अगले 20 साल में 20X0.05= 1 ट्रिलियन डॉलर
  • 3 से 5 ट्रिलियन होने में लगेंगे 40 साल

2009 में देश की जीडीपी का आकार 1.36 ट्रिलियन डॉलर था। 2017 में यह 2.65 ट्रिलियन डॉलर हो गया। 2019 में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण बता रही हैं कि यह 2.7 ट्रिलियन डॉलर है। इसका मतलब ये हुआ कि बीते दो साल में भारतीय इकॉनोमी में 0.05 ट्रिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। इस हिसाब से अर्थव्यवस्था का विकास हो तो (0.05×20 साल = 1 ट्रिलियन डॉलर) 1 ट्रिलियन डॉलर जोड़ने में वर्तमान सरकार को 20 साल लगेंगे। और 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था होने में 40 साल क्योंकि सरकार का दावा है कि इस साल के अंत में देश की अर्थ व्यवस्था 3 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी।
निर्मला सीतारमन के बही खातों की खास बातों पर गौर करें तो ये उसके 20 महत्वपूर्ण बातें हैं-

बही खाते की 20 बातें

1. 5 लाख तक आय हो तो कोई टैक्स नहीं
2. 2 करोड़ से ज्यादा आय पर सरचार्ज बढ़ा
3. साल में 1 करोड़ से ज्यादा कैश ट्रांजेक्शन पर 2.5% TDS
4. पेट्रोल-डीजल पर एक-एक रुपये प्रति लीटर सेस
5. सोना-चांदी पर 2.5 फीसदी ड्यूटी बढ़ी
6. इलेक्ट्रिक वाहन के लिए लोन पर 1.5 लाख तक ब्याज में छूट
7. सस्ते घरों की खरीद पर 3.5 लाख ब्याज पर टैक्स नहीं
8. 45 लाख तक का मकान लेने पर 1.5 लाख की अतिरिक्त छूट
9. PSU की जमीनों पर सस्ते मकान बनेंगे
10. स्टार्ट अप में अब एंजेल टैक्स नहीं लगेगा
11. MSME को 2% ब्याज छूट के लिए 350 करोड़ का प्रावधान
12. कॉरपोरेट टैक्स में टर्नओवर सीमा बढ़ी
13. श्रम कानूनों को आसान बनाया जाएगा
14. महिलाओं को 1 लाख का मुद्रा लोन मिलेगा
15. महिलाओं के जन-धन खातों में 5 हज़ार के ओवर ड्राफ्ट की सुविधा
16. 1 करोड़ छात्रों के लिए स्किल योजना का एलान
17. खेलो भारत योजना का विस्तार
18. स्टडी इन इंडिया का एलान
19. 2022 तक 1.95 करोड़ घर और हर घर में बिजली, शौचालय और गैस कनेक्शन
20. 2022 तक किसानों की आय दुगुनी

 

कहा ये जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले जो अंतरिम बजट पेश किया गया था, असल बजट वही था। यही कारण है कि मोदी सरकार पार्ट टू के पहले बजट को बजट न कहकर बही खाता नाम दिया गया। अब इस सरकार के आम बजट को अगर समझना हो तो अंतरिम बजट और बही-खाता दोनों को सामने रखकर समझना होगा। सरकार ने कह दिया है कि किसानों की 2022 तक आय दुगुनी होगी, तो आपको यह मानना होगा क्योंकि सरकार कोई आंकड़े रखने को तैयार नहीं है। तो, ये है न्यू इंडिया का बजट- जहां सपने हैं, रोडमैप नहीं।

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