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कन्हैया से डर गये गिरिराज?

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वो बात-बात में लोगों को पाकिस्तान चले जाने को कहा करते थे। हर महीने दो से तीन बार उनकी ज़ुबान ही चर्चा में होती थी, जिसे कोई विवादस्पद कहता,, तो कोई ज़हरीला। मगर, ये क्या! चुनाव से पहले चुनाव का माहौल बनाने वाले चुनाव के वक्त ही ख़ामोश हो गये! गिरिराज यानी पर्वत पर राज करने वाले सिंह यानी शेर नवादा से बेगूसराय ऐसे भेजे गये, मानो पार्टी ने उन्हें पर्वतन नहीं कंकर समझ लिया हो। रूठ बैठे हैं गिरिराज सिंह।

गिरिराज लड़ना ही नहीं चाहते। मगर, पर्वत पर जंगल का राजा शेर कभी लड़ने का स्वभाव भी छोड़ता है क्या। गिरिराज कह रहे हैं बीजेपी ने उनके स्वाभिमान को चोट पहुंचायी है। बिहार में किसी भी सांसद का सीट नहीं बदला गया है। फिर अकेले उनका ही क्यों बदला गया? अगर बदला गया, तो पहले उनसे चर्चा क्यों नहीं की गयी?

बिहार के ठेठ अंदाज में बोलें तो मर्दे ऊ सांसद कितना अपमानित महसूस कर रहे होंगे जिनका संसदीय सीट ही जेडीयू को दे दिया गया?

क्या गिरिराज से कम हुआ इनका अपमान?

वाल्मीकिनगर से सतीश चंद्र दुबे, सीवान से ओम प्रकाश यादव, गोपालगंज से जनक राम, झंझारपुर से बीरेन्द्र कुमार चौधरी और गया से हरि मांझी। क्या इनसे भी ज्यादा अपमान हो गया गिरिराज सिंह का?

क्या गिरिराज सिंह का अपमान शाहनवाज़ हुसैन से भी ज्यादा हो गया जिनसे उनकी सीट भागलपुर छीन ली गयी?

क्या गिरिराज सिंह का अपमान लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से भी ज्यादा है जिनसे कहा गया कि वे चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा करें।

क्या गिरिराज सिंह का अपमान करिया मुंडा, कलराज मिश्र, बीसी खंडूरी और शांता कुमार से भी बड़ा है जिन्हें फोन पर कह दिया गया कि आप घोषणा कर दें कि नहीं लड़ेंगे लोकसभा का चुनाव?

असल बात क्या है? असल बात है कि गिरिराज सिंह को कन्हैया से डर लग रहा है। वे बेगूसराय में कन्हैया से नहीं भिडने का बहाना तलाश रहे हैं। अगर आपको याद हो, तो 2014 के आम चुनाव में यही गिरिराज सिंह बेगूसराय से ही टिकट मांग रहे थे, नवादा में चुनाव लड़ने से बच रहे थे। यहां तक कि कुछ समय पहले तक वे एक बार फिर बेगूसराय से ही चुनाव लड़ने की जिद कर रहे थे। मगर, उनका सुर तब बदल गया जब कन्हैया के बेगूसराय से चुनाव लड़ने की बात सामने आने लगी।

कन्हैया से क्यों डर रहे हैं गिरिराज सिंह? बेगूसराय में भूमिहार वोटों की संख्या 5 लाख है। गिरिराज सिंह और कन्हैया दोनों भूमिहार हैं। लिहाजा यह तय है कि कन्हैया बीजेपी के वोट काटेंगे। विगत 2014 के आम चुनाव में बेगूसराय से बीजेपी महज 60 हज़ार वोटों के अंतर से जीती थी। दूसरे नम्बर रहे तनवीर एक बार फिर महागठबंधन के उम्मीदवार हैं। त्रिकोणीय मुकाबले में भी गिरिराज सिंह को अगर डर लग रहा है तो यह रणनीति महागठबंधन की है जिसे वे भांप चुके हैं। महागठबंधन चाहता था कि कन्हैया मैदान में आएं और गिरिराज सिंह को नुकसान पहुंचाएं। ताकि उनकी जीत का रास्ता आसान हो सके।

अब कन्हैया भी मजे ले रहे हैं। वे ट्वीट कर रहे हैं। गिरिराज पर व्यंग्य कर रहे हैं कन्हैया

“बताइए, लोगों को ज़बरदस्ती पाकिस्तान भेजने वाले ‘पाकिस्तान टूर एंड ट्रेवेल्स विभाग’ के वीज़ा-मंत्री जी नवादा से बेगूसराय भेजे जाने पर आहत हो गए हैं”। मंत्री जी ने तो कह दिया “बेगूसराय को वणक्कम”  

खुला तंज, खुली चुनौती। मगर, गिरिराज ने साध ली है चुप्पी। क्या बिना लड़े हार मान जाएंगे गिरिराज सिंह? क्या उन्हें टुकड़े-टुकड़े गैंग से लड़ने में डर लगता है? देशभक्ति की पिच और वो भी होम टाउन में गिरिराज सिंह दहाड़ नहीं पा रहे हैं। देश हतप्रभ है। कुछ तो बोलिए गिरिराजजी।

“बताइए, लोगों को ज़बरदस्ती पाकिस्तान भेजने वाले ‘पाकिस्तान टूर एंड ट्रेवेल्स विभाग’ के वीज़ा-मंत्री जी नवादा से बेगूसराय भेजे जाने पर आहत हो गए हैं”। मंत्री जी ने तो कह दिया “बेगूसराय को वणक्कम”  

खुला तंज, खुली चुनौती। मगर, गिरिराज ने साध ली है चुप्पी। क्या बिना लड़े हार मान जाएंगे गिरिराज सिंह? क्या उन्हें टुकड़े-टुकड़े गैंग से लड़ने में डर लगता है? देशभक्ति की पिच और वो भी होम टाउन में गिरिराज सिंह दहाड़ नहीं पा रहे हैं। देश हतप्रभ है। कुछ तो बोलिए गिरिराजजी।

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