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क्या हैक हुए EVM, जरूरी है EVM से आज़ादी?

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EVM यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन

जिस पर आ टिका है हिन्दुस्तान का लोकतंत्र

जिसमें होता है वोटरों की इच्छा का बटन

जिसके जरिए होने लगा है लोकतंत्र का अपहरण

नहीं, नहीं। ऐसा नहीं हो सकता। EVM को कोई छेड़ नहीं सकता। इसे कोई टैम्पर नहीं कर सकता। इसे कोई हैक नहीं कर सकता। हमने इसे बनाने में, सुरक्षित करने में करोड़ों ख़र्च किए हैं। बहुत ज्यादा वक्त दिया है। प्लीज, चुप रहिए। EVM पर सवाल मत उठाइए।

क्या EVM पर संदेह करना गैर कानूनी है? गैर कानूनी था, मगर तब तक जबतक कि सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को बदल नहीं दिया। हमें संदेह करना भी सुप्रीम कोर्ट ने सिखाया जब उसने सुब्रहमण्मय स्वामी की याचिका पर वीवीपैट के साथ चुनाव कराने की व्यवस्था दी। वीवीपैट यानी वोटर वेरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल। यह वो पर्ची है जो वोट देने के बाद निकलती है और यह बताती है कि डाला गया वोट किस उम्मीदवार या पार्टी को पड़ा है।

मगर, अब यह जान लेना काफी नहीं है कि हमने किसे वोट दिया क्योंकि EVM से जुड़े ताजा खुलासे न सनसनी मचा दी है।  EVM के जरिए लोकतंत्र का अपहरण होने की बात सामने आयी है। हालांकि इस पर शक है, षडयंत्र की बदबू भी है। फिर भी, इस मामले को हमारे लिए जानना बहुत जरूरी है। भारत से जान बचाकर अमेरिका में जा छिपे हैकर सैयद शुजा का दावा है कि

हैकर सैयद शुजा का सनसनीखेज दावा

  • 2014 के आम चुनाव में EVM को हैक किया गया था।
  • 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी हैकिंग हुई।
  • यूपी, गुजरात और महाराष्ट्र के चुनावों में भी हैक किए गये EVM
  • कोशिश एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान में भी हुई, मगर विफल रही

खुद को EVM की डिजाइनिंग टीम का हिस्सा बताने वाले सैयद शुजा ने और भी खुलासे किए हैं। उसने कहा है कि एक बीजेपी नेता को ब्लैकमेलिंग करने के बाद  उसकी टीम पर हमले हुए जिसमें उसके 11 साथी मारे गये। शुजा ने मारे गये साथियों के नाम भी बताए हैं जिनमें शामिल हैं- जैज, एजाज, हमजा, प्रकाश, श्रीनाथ, बूसी, केशव।

हैकर सैयद शुजा का सनसनीखेज दावा

शुजा का दावा है कि वह खुद किसी तरह जान बचाकर भागने में कामयाब रहा। मगर, जो सबसे चौंकाने वाला खुलासा शुजा ने किया है उस पर गौर कीजिए-

  • केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे की मौत हादसा नहीं हत्या थी
  • गौरी लंकेश भी इसलिए मारी गईं क्योंकि EVM पर वह रिपोर्टिंग करना चाहती थी

सैयद शुजा ने दावा किया है कि बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे ने उससे पूछा था कि क्या EVM का ऐसा डिजाइन बना सकते हो जिसे हैक नहीं किया जा सकता। उसने दावा किया है कि

“मुंडे खुद अपनी सरकार का पर्दाफाश करने वाले थे। इसलिए उनकी हत्या कर दी गई थी। वह जानते थे कि EVM में धांधली के कारण उनकी सरकार बनी है।”

शुजा का दावा- 12 दलों के नेताओं ने किए सम्पर्क

शुजा ने बीजेपी ही नहीं दूसरे दलों पर भी आरोप लगाए हैं। शुजा ने कहा है कि EVM हैकिंग के लिए {GFX IN} बीजेपी के अलावा कांग्रेस, एसपी, बीएसपी, आम आदमी पार्टी समेत 12 दलों के नेताओं ने उनसे सम्पर्क किए थे।

अब इन खुलासों पर घमासान तो मचना ही था। घमासान मचा हुआ है। बीजेपी शुजा के खुलासों को विदेशी षडयंत्र और कांग्रेस की ओर से प्रायोजित बता रही है जबकि कांग्रेस का कहना है कि जो बातें इन खुलासों में उठायी गयी हैं उसका जवाब दे बीजेपी और बीजेपी सरकार। इन सबके बीच बीजेपी को छोड़कर लगभग सभी दलों ने EVM से चुनाव नहीं कराने की अपनी आवाज़ तेज कर दी है।

वहीं चुनाव आयोग ने दिल्ली पुलिस में एफआईआर दर्ज करायी है जिसमें शुजा पर अफवाह फैलाकर भारत में अस्थिरता फैलाने के आरोप हैं। चुनाव आयोग अब भी इस बात से इनकार कर रहा है कि EVM की हैकिंग हो सकती है। हैकर सैयद शुजा ने EVM को हैक करने का जो तरीका बताया है उस पर भी गौर करने की जरूरत है-

हैकर सैयद शुजा का सनसनीखेज दावा

  • ग्रेफाइट आधारित ट्रांसमीटर से हैक हो सकता है EVM
  • ब्लू टूथ और वाईफाई के बिना EVM की हैकिंग सम्भव
  • हैकिंग के लिए EVM चिपसेट को बाइपास करना जरूरी
  • 2014 चुनाव में ग्रेफाइट आधारित ट्रांसमीटर युक्त EVM इस्तेमाल हुए

EVM पर नये-नये खुलासों और सवालों के बीच अब सबसे बड़ा सवाल ये उठ खड़ा हुआ है कि आखिर जब दुनिया में ज्यादातर देश EVM पर भरोसा नहीं करते, तो भारत इस पर भरोसा करने पर क्यों आमादा है? दुनिया में आज जिन देशों में EVM से चुनाव हो रहे हैं उनमें ब्राजील, भूटान और वेनेजुएला है। जर्मनी में वहां की सुप्रीम कोर्ट ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया। हॉलेंड, इटली और आयरलैंड ने EVM को अपनाने के बाद इसे त्याग दिया। अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, जापान कहीं भी EVM से चुनाव नहीं होते। सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब देश की ज्यादातर पार्टियां नहीं चाहतीं कि EVM से चुनाव हो, जब शुबहा पैदा हो चुका है कि EVM को हैक किया जा सकता है तो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को इन मशीनों के हवाले क्यों छोड़ा जाए?

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