महागठबंधन का तोहफा देंगी प्रियंका!
यूपी की राजनीति में प्रियंका गांधी का इम्पैक्ट यानी प्रभाव स्पष्ट दिखने लगा है। प्रियंका गांधी को पूर्वी यूपी कांग्रेस का प्रभार सौंपने के बाद से ही इसके लक्षण दिखने लगे थे। एक प्रभाव है सत्ताधारी बीजेपी में बेचैनी, जिसके पास यूपी की ज्यादातर लोकसभा सीटें हैं। दूसरा प्रभाव है एसपी-बीएसपी गठबंधन में बेचैनी, जो यूपी की ज्यादातर सीटों पर कब्जा करना चाहती हैं। तीसरा प्रभाव है कांग्रेस के भीतर ज़बरदस्त उत्साह, जो अब फ्रंटफुट पर खेलना चाहती है।
सत्ताधारी बीजेपी में बेचैनी का आलम ये है कि इधर प्रियंका चुनाव मैदान में उतरी, उधर रॉबर्ट वाड्रा पर हमले तेज हो गये। ये हमले सिर्फ ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय में वाड्रा से पूछताछ तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि पूछताछ के हर सवाल टीवी चैनलों पर भी पूछे जाते रहे। वही सवाल बीजेपी की ओर से कांग्रेस के लिए भी दागे जाते रहे। इस विषय पर बीजेपी के कई प्रेस कॉन्फ्रेन्स हुए। प्रियंका पर निशाने अलग-अलग तरीके से भी लगाए जा रहे हैं। कभी ड्रेस पर टिप्पणी, तो कभी परिवारवाद और वंशवाद का सवाल। सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है।
प्रियंका के रोड शो के बाद नरम पड़े SP-BSP के तेवर
प्रियंका के रोड शो के बाद से एसपी-बीएसपी के तेवर कांग्रेस के लिए बिल्कुल नरम पड़ चुके हैं। एसपी नेता अखिलेश यादव को कहना पड़ा है कि कांग्रेस भी एसपी-बीएसपी गठबंधन में शामिल है। हालांकि अभी इस वक्तव्य का मतलब समझना बाकी है। फिर भी, बीएसपी भी शायद ही ऐसे किसी प्रस्ताव का विरोध करे। वजह ये है कि एसपी-बीएसपी को लगने लगा है कि अगर कांग्रेस फ्रंटफुट पर खेलने को उतरी तो सबसे ज्यादा नुकसान उन्हें ही होने वाला है।
प्रियंका के आने से कांग्रेस में उत्साह है। इसकी वजह है कि कांग्रेस के लिए अचानक इज्जत बढ़ गयी है। सहयोगी दलों का रुख बदल गया है। चुनाव पूर्व पूर्वानुमानों में एसपी-बीएसपी गठबंधन को 55 सीटें मिलती दिखलायी गयी हैं। प्रियंका के चुनाव मैदान में उतरने के बाद यह आंकड़ा गिरेगा। ऐसे में एसपी-बीएसपी को दोबारा यह सोचने को मजबूर होना पड़ रहा है कि अगर 15 सीटें कांग्रेस को तालमेल दे दी जाएं, तो परफॉर्मेंस गिरने के बजाए और सुधर सकता है। वहीं कांग्रेस 20 से 25 सीटों की मांग पर अड़ी है।
महागठबंधन हुआ तो UP में साफ हो जाएगी BJP
चुनावी प्रेक्षक भी मानते हैं कि अगर एसपी-बीएसपी के साथ कांग्रेस का महागठबंधन हो गया, तो आमने-सामने के मुकाबले में बीजेपी के लिए यूपी में एक सीट भी जीतना मुश्किल हो जाएगा। गोरखपुर, फूलपुर और कैराना में 50 फीसदी से ज्यादा वोट पाने वाली बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। वैसे ही नतीजे बाकी सीटों पर भी सामने आएंगे।
खुद प्रियंका के लिए यह बहुत बड़ी राजनीतिक उपलब्धि होगी कि वह चुनाव मैदान में उतरते ही महागठबंधन के सपने को साकार कर दिखलाएगी। कांग्रेस के लिए चुनावी जीत तो इस समीकरण के सामने उनके चरण चूमेगी गी। यानी चुनाव से पहले ही जीत का आभास वह करा चुकी होंगी।
अगर प्रियंका यूपी में महागठबंधन की वजह बनीं, तो देश का चुनावी परिदृश्य भी बदल जाएगा। अब तक माना जा रहा था कि यूपी में बीजेपी को नुकसान होने जा रहा है। इस नुकसान की भरपाई कैसे होगी, यह देखने की कोशिश की जा रही थी और इस आधार पर यह सोच सामने आ रही थी कि बीजेपी अपने दम पर बहुमत नहीं ला सकेगी। मगर, जैसे ही यूपी में महागठबंधन होगा, तो यूपी में बीजेपी के सफाया होने की ख़बर देश में हावी होने लगेगी। इसका असर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान जैसे हिन्दी पट्टी पर भी पड़ेगा जहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच आमने-सामने की टक्कर है। सोच बदलने का असर देशव्यापी होगा।
प्रियंका गांधी अगले 10 दिनों में महागठबंधन का तोहफा देने जा रही है कांग्रेस को। प्रियंका के आने से बीजेपी को यही डर सता रहा है। वेलेन्टाइन वीक में रोड शो शुरू कर प्रियंका ने कांग्रेस को यूपी में सबका वेलेन्टाइन बना दिया है। कम से कम एसपी-बीएसपी का नज़रिया तो जरूर बदल दिया है।